कोई चमत्कार ही नरेंद्र मोदी को गुजरात में हरा सकता था। .... और चमत्कार नहीं हुआ। इसीलिए किसी को आश्चर्य भी नहीं हुआ। अप्रत्याशित या अनहोनी हो जाने के इंतजार में सनसनी का मजा लेने वाले लोगों को तो जाहिर है निराशा ही हुई। अब वो प्रलय से होने वाली सनसनी के इंतजार में अपना समय ख़राब कर सकते हैं।
बहरहाल, कांग्रेस और केशुभाई के बूते की बात तो यह थी भी नहीं। उन्होंने तो एक तरह से पूरा मैदान ही खुला छोड़ दिया था मोदी के लिए। मोदी तो यों भी कांग्रेस और केशुभाई से लड़ नहीं रहे थे। वो अपने आप से लड़ रहे थे, अपने अहं से, अपनी छवि से, अपने लोगों से, अपनी पार्टी से, अपने संघ से। ... और वो चुनाव जीत गए हैं... लेकिन सिर्फ चुनाव.... बाकी लड़ाइयां अभी बाकी हैं। आगे की लड़ाई के लिए इस चुनाव को जीतना उनके लिए बेहद जरूरी था, नहीं तो आगे की सीढ़ी ही टूट जाती।
कट्टरवाद और उदार विकासवाद के बीच जो अनूठा सामंजस्य नरेंद्र मोदी ने बैठाया है, उस फार्मूले की तलाश में लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी पूरी जिंदगी लगा दी ...पर वो इस फार्मूले को नहीं गढ़ पाए|
Image of Narendra Modi between Hindutv and Development in Hindi.
Friday 21 December 2012
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कट्टरवाद और उदार विकासवाद के बीच जो अनूठा सामंजस्य नरेंद्र मोदी ने बैठाया है ... Image of Narendra Modi between Hindutv and Development
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