Wednesday 25 March 2015

देश-गौरव की खातिर खुशियाँ लुटाउँगा - Poem before world cup semi final India Australia, Hindi Kavita

लिखना तो बहुत चाहता हूँ,
पर आज नहीं!
आज भारत की जीत की दुआ करूँगा
फ़रियाद करूँगा

यूं तो रहता हूँ दूर हर 'टोटके' से 
पर आज नहीं!
आज रात भर टूटते तारे को देखूँगा 
आँखें बंद करके बुद-बुदाऊँगा

नापसंद करता हूँ इन कमाऊं क्रिकेटरों को
पर आज नहीं!
आज इन्हें असली 'सैनिक' सोचूंगा 
बल्ले से बारूद निकलते देखूँगा 

भ्रष्ट होते खेल से नफरत करने लगा था
पर आज नहीं!
आज आईपीएल, सट्टेबाजी भूल जाऊंगा
इनकी जीत पर इतराऊंगा

यूं तस्वीरों को 'लड्डू' खिलाता नहीं मैं
पर आज नहीं!
देश-गौरव की खातिर खुशियाँ लुटाउँगा 
नारे लगाउँगा

- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
(वर्ल्ड-कप सेमीफाइनल से पहले)
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