Friday 27 March 2015

क्रिकेटीय प्रशासन में 'गंभीर चूक' - Big Fault in Cricket Administration, World cup, fixing angle, Anushka

भारतीय टीम जिस बुरे तरीके से ऑस्ट्रेलिया के हाथों वर्ल्ड-कप के सेमीफाइनल में पराजित हुई, उससे देश के करोड़ों क्रिकेट-प्रेमियों का दिल टूट गया, लेकिन इस पूरे वाकये को बड़ी आसानी से सिर्फ खेल भावना का नाम देकर उन प्रशासनिक खामियों पर लीपापोती नहीं की जा सकती है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं. विश्व के सबसे धनी क्रिकेट-बोर्ड के पास सक्षम मैनेजर और मनोवैज्ञानिक तो निश्चित ही होंगे और इसी सन्दर्भ में पिछले कई हफ़्तों से विराट कोहली के व्यवहार में आये बदलाव का अध्ययन किस प्रकार अनदेखा कर दिया गया, यह यक्ष प्रश्न है. इस दौरान विराट ने बेहद निराश किया, और पूरे टूर्नामेंट में पाकिस्तान के खिलाफ उनके शतक को छोड़ दिया जाय तो उनके बल्ले से अर्थशतक तक नहीं निकला. ऐसे सीरियस मुकाबले के समय NH10 फिल्म देखना, और उसकी पब्लिकली तारीफ़ करना, डेट पर जाना और इन सब बातों का ट्विटर इत्यादि के जरिये प्रचार करने को जस्टिफाई किस प्रकार किया जा सकता है. आखिर, खिलाडियों को देश के लिए खेलने की खातिर किसी प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है कि नहीं. हार से ज्यादा क्रिकेट-प्रेमियों का गुस्सा विराट कोहली के गैर-जिम्मेवाराना व्यवहार पर कहीं ज्यादा है. पत्रकार से कोहली के मारपीट और ऑस्ट्रेलिया से मैच के पहले डेट की तस्वीरें और दूसरी ऐसी तमाम गतिविधियाँ थीं, जिसने विराट को विलेन बना दिया और, अब कम से कम उनको उनके प्रशंसक उस तरीके से नहीं प्यार करेंगे, जैसा दुलार उनको पहले मिलता था.
हार के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री और उससे ज्यादा अब विराट कोहली की गर्लफ्रेंड अनुष्का शर्मा के ऊपर भी काफी चर्चा हुई है. सोशल मीडिया में तो उनको 'विषकन्या' तक की उपाधि दी जा रही है, हार का मुख्य कारण बताया जा रहा है, किन्तु इस पूरे वाकये को एक दूसरी दृष्टि से देखने पर एक अलग तस्वीर ही नजर आती है. एक तो क्रिकेट, वह भी अंतर्राष्ट्रीय-क्रिकेट, वह भी वर्ल्ड-कप जैसा बड़ा आयोजन. ऐसी स्थिति में एक-एक व्यक्ति संदेह के घेरे में होता है. बड़े आश्चर्य का विषय है कि टीम-प्रबंधन ने विराट को इतनी छूट दी कैसे? अभिनेता बिंदु दारा सिंह के फिक्सिंग-प्रकरण को अभी ज्यादे दिन नहीं हुए हैं! यह एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय साजिश भी तो हो सकती है. फिक्सिंग-प्रकरण के बाद महत्वपूर्ण मैचों से पहले खिलाडियों से बाहरियों के मिलने-जुलने पर बेहद सख्ती से पेश आने की बात बोर्ड ने उठायी थी. आखिर, अनुष्का को प्रोटोकॉल में छूट कैसे मिली? यह प्रश्न जितना टेक्नीकल है, उतना ही भावनात्मक भी. एक तरफ भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी थे, जिन्होंने देश की खातिर अपनी 'नवजात' बच्ची का मुंह तक नहीं देखा और एक तरफ विराट-महाशय हैं, जिन्होंने अपने व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल कर के एक अनजान को 'टीम' में घुसा दिया, और वह लड़की टीम-प्रबंधन के सभी सदस्यों, खिलाडियों से बेरोक-टोक मिलती है. आखिर, अभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउन्सिल के चेयरमैन एन.श्रीनिवासन को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से क्यों प्रतिबंधित किया है और उनके दामाद मयप्पन से चेन्नई आईपीएल के खिलाडियों से बेरोक-टोक मिलने का ज़िक्र क्यों आया? आखिर, अनुष्का जैसे अनजान लोग फिक्सिंग में शामिल क्यों नहीं हो सकते हैं? विराट जैसे खिलाडियों और बीसीसीआई के पदाधिकारियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यह कोई मोहल्ले का टूर्नामेंट नहीं है, बल्कि विश्व-कप जैसा आयोजन किसी 'युद्ध' की तरह होता है और विशेषकर भारत जैसे देश में, जहाँ यह धर्म माना जाता है, वहां विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है. बोर्ड-प्रशासन को यह बाद याद रखनी होगी की अरबों-खरबों का दाव सट्टे पर लगा होता है और सट्टेबाज अनुष्का जैसी 'चिड़िया' को ही ढूंढते हैं और लालच, डर, भ्रम इत्यादि सभी दांव-पेंच आजमाते हैं. इस बात की गंभीर जांच की जानी चाहिए कि बोर्ड से इतनी गंभीर चूक हुई कैसे और आने वाले भविष्य के लिए इन प्रशासनिक-खामियों को सुधारा जाना चाहिए.
- मिथिलेश कुमार सिंह
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