Sunday 26 July 2015

सर्विसिंग (हिंदी लघु कथा)

साहब! बाइक की सर्विसिंग आप लेट मत कराया कीजिये, इंजिन को नुकसान पहुँचता है, देखिये बहुत कम तेल बचा है और इसका लुब्रिकेशन भी खत्म हो चुका है. हाँ! हाँ! अगली बार जल्दी करा लूंगा, कहकर राहुल ने अपने मुंहलगे मैकेनिक से पल्ला झाड़ लिया. वह अक्सर अपनी बाइक उसी मैकेनिक से ठीक कराया करता था. आदतन, अगली बार भी उसने सर्विसिंग में काफी लेट किया तो उसकी पुरानी बाइक का साइलेंसर धुंआ फेंकने लगा. उसने सोचा कि, अब सर्विस करा लेना चाहिए, लेकिन टालमटोल की आदत से मजबूर था, इसलिए आजकल पर टालता ही रहा. एक दिन वह सुबह-सुबह किसी से मिलने तेजी से जा रहा था कि उसकी गाडी चलते-चलते बंद हो गयी अचानक! उसने सोचा कि पेट्रोल खत्म हुआ होगा, इसलिए 'रिजर्व' में लगा कर किक मारने की फिर कोशिश की, लेकिन यह क्या! किक तो हिल भी नहीं रही थी.... उसने फिर ज़ोर लगाया, लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही रहे! सुबह का समय था और आस पास किसी मैकेनिक की दुकान भी नहीं खुली थी. पूछते-पूछते आधे किलोमीटर दूर किसी मेकेनिक की दुकान तक बाइक को धक्के लगाता हुआ पहुंचा. दो घंटे के इन्तेजार के बाद मैकेनिक ने दुकान खोली तो राहुल ने चैन की सांस ली. हालाँकि, उसका चैन तब बेचैनी में बदल गया जब मैकेनिक ने बताया कि आपका इंजिन 'सीज़' हो गया है क्योंकि इसमें इंजिन-आयल खत्म हो चुका था. खर्चा कितना लगेगा, राहुल के मुंह से पहला शब्द निकला!
यही करीब, चार हजार से पैंतालीस सौ के आस पास पड़ जायेगा.
क्या? सहसा राहुल को विश्वास ही नहीं हुआ, तीन सौ के इंजिन ऑयल के बदले इतना ज्यादा खर्चा!
कुछ कम में जुगाड़ कर दो भाई, उसने रिक्वेस्ट की !
इसमें कोई जुगाड़ नहीं हो सकता, पूरा इंजिन खोलना पड़ेगा और पूरा दिन लग जायेगा साब!
राहुल को फिर भी विश्वास नहीं हुआ, उसने सोचा कि सुबह का समय पाकर यह मैकेनिक उसे ठग रहा है. तब तक दिन चढ़ चुका था और गर्मी की धूप अपनी चढ़ान पर थी. चूँकि, मोटे खर्चे की बात थी, इसलिए पूछते पूछते वह पास की मार्किट में अपनी बाइक को धक्के लगाता हुआ पहुंचा. एक मैकेनिक की दूकान पर उसने बाइक खड़ी कर दी. मैकेनिक ने पहले किक चेक किया, फिर तेल की टंकी उतारी, फिर इंजिन खोलना शुरू किया और उसने भी वही सारी बात कही, जिसका डर था. इंजिन जाम हो चुका था. पिस्टन, गरारियां, गराद और न जाने किन किन शब्दों से उसका परिचय एक के बाद एक से होता जा रहा था, साथ में मैकेनिक उसको यह भी याद दिलाता जा रहा था कि यदि उसने टाइम पर सर्विसिंग करा ली होती तो आज यह स्थिति न आती. घड़ी की सुइयां खिसकती जा रही थीं और ऑटोमोबाइल दूकान पर खड़ा राहुल सोच रहा था कि बाइक की 'सर्विसिंग' कराने में देरी ने उसे अच्छा सबक दिया आज! उसकी सोच का दायरा बाइक से हटकर, कार - सर्विसिंगbike, car, servicing, mechanic, lifestyle, service, views, vichar, mithilesh2020, laghukatha, short stories, hindi kahani और फिर 'जीवन की सर्विसिंग' पर घूमने लगीं. कार तक तो बात ठीक थी, किन्तु 'मानव जीवन की सर्विसिंग' पर वह कन्फ्यूज हो गया कि सच में ऐसी कोई सर्विसिंग होती है क्या? यदि हाँ! तो उसमें लापरवाही की सजा कितनी बड़ी होगी ... ??
इन विचारों से वह जब तक बाहर निकलता तब तक शाम के चार बज चुके थे और मैकेनिक उसे फिर समझा रहा था कि इंजिन खुलने के बाद बाइक को 500 किलोमीटर चलाते ही सर्विसिंग जरूर करा लीजियेगा, उसके बाद रेगुलर,यानि...
यानि 1500 किलोमीटर पर ही सर्विसिंग जरूरी है, मैकेनिक की बात राहुल ने पूरी कर दी और मुस्कुरा उठा!
घर आते समय उसके मन में कई शब्द और विचार गड्डमगड्ड हो रहे थे, लेकिन एक बात साफ़ थी कि बाइक की सर्विसिंग टाइम से जरूर करायेगा, नहीं तो इंजिन 'सीज़' हो जायेगा!
- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
bike, car, servicing, mechanic, lifestyle, service, views, vichar, mithilesh2020, laghukatha, short stories, hindi kahani

Hindi short story by mithilesh, based on servicing, bike and human life

No comments:

Post a Comment

Labels

Tags