पत्नी, प्रिये, अर्धांगिनी
और धर्मपत्नी
जीवन संतुलन, उत्थान
और सृष्टि की कथा-
सुख दुःख, संयोग वियोग
और रुचि अरूचि में
बंध, प्रबंध, सम्बन्ध
और समर्पण भी
दिन रात, सुबह शाम
और हर क्षण में
(प्रिय पत्नी के जन्मदिवस पर रचित दो पंक्तियाँ)
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