प्रयागराज में आयोजित कुम्भ पर्व में “गंगा- संसद” आयोजन हेतु वक्तव्य के लिए कुम्भ पर जानकारी जुटा रहा हूँ… कुम्भ मेल निश्चित रूप से विश्व ईतिहास के महान पर्वों में से एक है. लोगों का दृढ विश्वास होता है कि गंगा यमुना के पावन संगम तट पर डुबकी लगाने से उनको मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी.
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इस सन्दर्भ में एक विचार मेरे दिमाग में आ रहा है कि यदि आज किसी व्यक्ति को किसी भी तरह यदि यकीन हो जाये कि यदि वह अपनी इक्षा से देह का त्याग करेगा तो उसे मोक्ष मिल जायेगा (कृपया इसे मान लीजिये एक पल के लिए); तो क्या कोई भी व्यक्ति अपनी इक्षा से, मोक्ष के लिए अपना शरीर त्यागना चाहेगा ? पूर्ण यकीन के पश्चात भी !!
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दोस्तों, … क्या वाकई मोक्ष हमारे इस मानव जीवन से बेहतर विकल्प है ? शास्त्र तो यही कहते है, पर क्या वाकई यह है ? …
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अभी तो कमसे कम मै मानव जीवन में ही संघर्ष करना चाहूँगा, पूर्ण यकीन के पश्चात भी मै भूमि पर रहना चाहूँगा…. पूर्ण वैराग्य के बाद भी मै भारत भूमि पर अधिकतम समय तक विचरण करना पसंद करूँगा.
The Salvation
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