Thursday 28 August 2014

मेजर ध्यानचंद को ‘भारत-रत्न’ मिलने से भारतीयों को सर्वाधिक ख़ुशी होगी - Bharat Ratna Award

आत्मगौरव तब जगाया उस शख्स ने,

ज़िन्दगी जब मौत के पहलू में थी.
कहने को कहती रहे कुछ भी ये दुनिया,
हर जीत उसकी ‘स्वर्ग’ से कुछ कम न थी…

दुनिया का तानाशाह उसका ‘फैन’ था
पहचान उसकी थी यही वह ‘सैन्य’ था
जो ले ‘छड़ी’ मैदान में वह आता था,
उल्टी तरफ का हर कोई छक जाता था

रुकता न था, थकता न था माँ भारती का लाल वह
मैदान में बन जाता था प्रतिपक्ष का फिर काल वह
‘जज्बे’ का सौदा करने की कोशिश हुई
मेजर डिगा नहीं, वह न था छुई-मुई

अनदेखा कर सरकारों ने बड़ी भूल की
कई पीढ़ियां, इस हेतु ना प्रेरित हुईं
है मौका अबकी बार और दस्तूर है
दो ‘भारत-रत्न’ उसको वतन का जो नूर है.

-मिथिलेश, उत्तम नगर, नई दिल्ली.

In the support of Major Dhyanchand for Bharat Ratna Award, hindi poem by mithilesh.

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