राष्ट्रभक्ति ले कर चला, किंकर का अभियान
कार्य हो रहा अनवरत, रखा सभी का मान
रखा सभी का मान, साधना कर दिखलाया
ग्यारह सालों से, संस्कृति-अलख जगाया
हम नन्हें-मुन्नों को, मिलती रहे यूं शक्ति
भाषा-जाति विभेद भुला, हम करें राष्ट्रभक्ति.
सीख दिया हमको, डंटे रहना तुम हरदम
ना तजना वह राह, जहाँ हो सच का दम
जहाँ हो सच का दम, भला हो जन-जन का
श्रमेव जयते मन्त्र हो, मोह नहीं हो तन का
बड़े-बुजुर्गों की सुनें, समझें भारत की रीत
'राष्ट्र-किंकर' पत्रिका से, मिले सभी को सीख.
(-मिथिलेश की कुण्डलिया)
Mithilesh Ki kundaliya, Guru Charno me samarpit, Rashtra Kinkar Hindi weekly magazine.
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