- "परिवर्तन संसार का नियम है." - (वह ख़राब हो या अच्छा हो , पर होगा जरूर)
- "जीवन के चौथेपन" का क्या अभिप्राय है आज के सन्दर्भ में? यह कोई जंगल जाने के बारे में निश्चित ही नहीं है, बल्कि सक्रियता को सावधानी से कम करने के बारे में है, और अगली पीढ़ी के हाथ में निर्णय देने के बारे में है.
(इस बारे में कोई मुलायम सिंह से जरूर सिख ले, अन्य मामलों में वह चाहे जितने ख़राब हो, पर सही समय पर उसने अगली पीढ़ी को नेतृत्व दिया है)
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और एक महत्वपूर्ण बात और, आडवानी जी के बारे में बड़े जोर शोर से यह प्रचारित है कि "बीजेपी को उन्होंने अपने खून पसीने से खड़ा किया" -- मै इस पर कोई आक्षेप नहीं करूँगा, परन्तु इसकी तुलना भारत की आजादी की लड़ाई से जरूर करूँगा, जिसके बारे में कहा जाता है कि "महात्मा गाँधी ने देश को आजादी दिला दी" ...
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और देशवासी तब, और संघ से लेकर बीजेपी के कार्यकर्त्ता अब क्या कर रहे थे? ... यह क्रेडिट को हाई-जैक करने का गन्दा प्रयास हाई ... अरे इस मातृभूमि को कोई क्या देगा, राम और कृष्णा जैसे महापुरुष अभी तक इस बात का दावा नहीं कर सकते कि उन्होंने भारतवर्ष को बहूत कुछ दिया. ... यह तो अत्यधिक बुरी मानसिकता हाई, व्यवसाय से भी बुरी !!
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इस पर सटीक टिप्पणियों का स्वागत है.
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