अब केजरीवाल सरकार कैसे चलायें जब कोई सहयोग करने को ही तैयार न हो. इस स्थिति का आभाष केजरीवाल को भी हो चुका है. जरा सोचिये, सोमनाथ भारती यदि पुलिस के एसीपी रैंक के अधिकारी के हाथों बेइज्जत नहीं होते तो क्या तब भी यह धरना प्रदर्शन होता? बड़ा सीधा प्रश्न है. अब इस स्थिति में केजरीवाल के पास दो ही रास्ते थे. एक खुद को भी इस माहौल के अनुसार ढाल लें और फिर धीरे-धीरे वह परिवर्तन लेकर आयें, परन्तु यदि उन्हें तालमेल ही करना होता तो क्यों वह अपनी आईआरएस की नौकरी छोड़ते, क्यों ...
Arivind Kejriwal as a Politician, news in Hindi.
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