Friday 29 January 2016

रात के बाद दिन - Hindi poem on success, failure

by on 09:49
'चिराग' उन्हें फीका लगा होगा 
हमने जो 'दीपक' जलाया अभी

खुशियाँ भी कुछ कम लगी होंगी
खुल के हम जो 'मुसकराये' अभी

गफ़लत में थे देख परतें 'उदास'
आह भर भर के वो पछताए अभी

कद्र कर लेते रिश्ते की थोड़े दिनों
जब फंसे थे मुसीबत में हम कभी 

तब उड़ाई हंसी ज़ोर से हर जगह
मानो दिन न फिरेंगे हमारे कभी 

ऐसा भी न था जानते कुछ न 'वो'
रात के बाद दिन जग की रीत यही 

- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
Hindi poem on success, failure, day night, mithilesh, poet

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