Saturday 28 March 2015

राजनीति बनाम आम मानसिकता - Arvind kejriwal is not a politician afterall

by on 20:36
अरविन्द केजरीवाल और उनकी तथाकथित नैतिकता के ऊपर खूब लिखा-पढ़ा जा रहा है, लेकिन मेरी तरह और भी कई लोगों का स्पष्ट मानना है कि अब वह राजनीति में हैं और उन्हें येन केन प्रकारेण अपनी सत्ता कायम रखनी ही होगी. किन्तु, जब उनके क्रियाकलापों को राजनीति के पैमाने पर तोलने बैठते हैं, तो वह बड़े मजबूर और असफल नजर आते हैं. आइये, एक-एक करके उनकी अपरिपक्व राजनीति को समझने की कोशिश करते हैं. आपको हालिया लोकसभा चुनाव के पहले नरेंद्र मोदी का वह इंटरव्यू (इंडिया टीवी) याद होगा, जब उन्होंने रजत शर्मा के जनता की आशाओं वाले प्रश्न पर स्पष्ट कहा था, भाई! ऐसा माहौल आप लोग क्यों बना रहे हो कि मोदी आएगा और सभी swaraj-book-written-by-arvind-kejriwalभारतीयों के दरवाजों के आगे एक-एक रोल्स रॉयस खड़ी कर देगा. मतलब, मोदी सपने तो बढ़ा रहे थे, अपेक्षाएं भी बढ़ा रहे थे, किन्तु स्पष्ट रूप से वादे करने से वह बच रहे थे. हाँ! काले धन इत्यादि पर उन्होंने जरूर कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन इस मामले पर उनकी हुई छीछालेदर हम सबने देखा. अरविन्द केजरीवाल यहाँ पर बेहद घिरे हुए हैं, और उन्होंने एक नहीं कइयों ऐसे सीधे वादे किये हैं, जो पूरे तो क्या होंगे, हाँ वह उनकी रोज किरकिरी जरूर कराते रहेंगे. राजनीति का दूसरा प्रमुख चरित्र यह होता है कि यहाँ कोई स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता है. अरविन्द केजरीवाल यहाँ दोनों पैमानों पर फेल होते नजर आ रहे हैं. उन्होंने पहले के साथियों के आलावा योगेन्द्र-प्रशांत से दुश्मनी तो की ही है, किन्तु उस से घातक यह बात कि उन्होंने राजनीति में दोस्त बना लिए हैं. जरा सोचकर देखिये, कुमार विश्वास, संजय सिंह, आशुतोष और आशीष खेतान जैसे लोग क्या देश-सेवा/ पार्टी सेवा के लिए अरविन्द के प्रति वफादार हैं? सच तो यह है कि जिस प्रकार अरविन्द दिल्ली के तमाम दबंग विधायकों को सरकारी समितियों और आयोगों में पदोन्नत कर रहे हैं, उसी प्रकार साथ देने वाले इन दोस्त 'नेताओं' को उन्हें राज्यसभा में भेजना ही पड़ेगा. उनके बदजुबानी वाले हालिया स्टिंग में वह बड़ी ईमानदारी से कहते हैं कि जिन लोगों को कम अनुभवी कहा जा रहा है, वह मेरे प्योर आदमी हैं. अब राजनीति में कौन प्योर है और कौन अशुद्ध, यह केजरीवाल समझ नहीं पा रहे हैं या ऐसा कहना उनकी मजबूरी बन गयी है. इस पूरे प्रकरण में उन्होंने बड़ी खूबसूरती से अपने राजनीतिक जूनियर्स का अहसान लिया है, जिसकी भारी कीमत उन्हें चुकानी ही पड़ेगी. तीसरी बात, राजनीतिक छवि! भारतीय लोकतंत्र में यदि किसी राजनेता को लम्बी पारी खेलनी हो तो, उसे 'तानाशाह' की छवि से बचना ही होता है. दुर्भाग्य यह है कि अरविन्द के साथ यह छवि एक के बाद एक वाकयों से पुख्ता होती जा रही है. अन्ना हज़ारे, किरण बेदी, राजेंद्र सिंह, संतोष हेगड़े, शाज़िया इल्मी, प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, अंजलि दमानिया, मेधा पाटेकर और भी न जाने कितने ऐसे लोग, जो एक बड़ी छवि रखते हैं और इन सबका अरविन्द को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन बेहद छोटे अंतराल पर अरविन्द को यह लोग एक के बाद एक तानाशाह साबित करते गए हैं. और उससे भी बड़ी यह कि यह सिलसिला रुकता नजर नहीं आ रहा है. हाल में भी गुंडे-विधायक, बाउंसर्स, बदजुबानी, तानाशाह जैसे शब्द केजरीवाल से चिपक गए हैं. अपने निष्कासन से पहले तक प्रशांत भूषण के साथ मिलकर योगेन्द्र यादव् ने अपनी मीठी जुबान से केजरीवाल को जबरदस्त तरीके से एक्सपोज करने की कोशिश की है.
हालाँकि, केजरीवाल समर्थक उनकी तुलना भाजपा के नरेंद्र मोदी और आडवाणी प्रकरण से कर रहे हैं, किन्तु दोनों स्थितियों में जबरदस्त फर्क है. आडवाणी तब तक 86 साल के हो चुके थे, और आम कार्यकर्त्ता से लेकर संघ और दुसरे तमाम नेता इस बुजुर्ग महारथी से किनारा कसने का मन बना चुके थे. आडवाणी को किनारा करने के बाद भाजपा में स्थितियों को मोदी ने संभाल लिया और अपने धुर विरोधियों सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह इत्यादि को बेहद महत्वपूर्ण मंत्रालय देकर संघ को भी खुश कर लिया. modi-mantraअब उनकी छवि प्रशासनिक रूप से सख्ती की है और भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ाई की बनी हुई है, लेकिन आतंरिक रूप से उन्हें तानाशाह नहीं माना जा रहा है क्योंकि सभी धड़ों को उन्होंने साध लिया है, यहाँ तक कि अपनी छवि ख़राब करने वाले हिंदुत्व के समर्थक कट्टर नेताओं के बोल-बचनों को भी वह दम साधकर सह रहे हैं और उनकी इसी मजबूरी को अमेरिकी राष्ट्रपति तक निशाने पर ले चुके हैं. अरविन्द केजरीवाल के सन्दर्भ में अब वह अकेले पड़ चुके हैं, नए, स्वार्थी और अनुभवहीन लड़कों से घिरे हुए. जनता से सीधा वादा करके, राजनीतिक दोस्त और दुश्मन बनाकर और तानाशाह की छवि निर्मित करके अरविन्द केजरीवाल फंस चुके हैं. किसी दूर-दराज के पूर्ण राज्य जैसे असम, उड़ीसा, बिहार इत्यादि में वह थोड़ी-बहुत राजनीति कर भी लेते, किन्तु दिल्ली जैसे केंद्रशासित प्रदेश में उनकी सरकार 5 साल चल जाएगी, इस बात में संदेह है. आपको याद होगा, अभी एक सम्मन पर केजरीवाल भागे-भागे कैसे एक निचली अदालत में पहुंचे थे. केंद्र के अतिरिक्त, कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट, मीडिया और उस से बढ़कर सोशल मीडिया पर सक्रीय युवा उनकी धज्जियां उड़ाने में कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे. उस पर पडोसी राज्यों में भाजपा सरकार से अब वह उस नैतिक बल से मुकाबला नहीं कर पाएंगे, जैसा वह पहले करते थे, उस नैतिक बल की तिलांजलि तो वह बहुत पहले दे चुके हैं, जब कांग्रेस का समर्थन लेकर, फिर छोड़कर, फिर लेने की तिकड़म बना रहे थे. रही सही कसर, वह बाहुबली विधायक पूरी कर देंगे, जिन्हें प्रशांत भूषण गुंडे कह रहे हैं. उन 67 विधायकों में से 35 से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जो भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय राजनीति की घुट्टी पीकर आये हैं. अब या तो अरविन्द उनके आगे झुकेंगे और वह विधायक अपनी मनमर्जी करेंगे, लूट-खसोट करेंगे अथवा अरविन्द के खिलाफ बड़ी बगावत तय है. आप कहेंगे, इन्तेजार किस बात का है, तो राजनीति में तमाम चीजों पर भारी जनता में आपकी लोकप्रियता होती है और अरविन्द की लोकप्रियता अभी बची हुई है, लेकिन उस बेपनाह लोकप्रियता में यादव-भूषण प्रकरण से बड़ी सेंध लग चुकी है. सच पूछिये तो अरविन्द की मानसिकता अभी राजनीतिक हो नहीं पायी है, वह किसी आम मानसिकता के व्यक्ति की तरह बदहवास हो गए हैं, जो कम से कम राजनीति तो नहीं ही कर रहा है. यादव-भूषण जैसे एकाध काण्ड और, फिर अरविन्द की राजनीति का ...... !!! खुद ही अंदाजा लगा लीजिये!
Arvind kejriwal is not a politician afterall, different article on politics in Hindi by Mithilesh
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Friday 27 March 2015

क्रिकेटीय प्रशासन में 'गंभीर चूक' - Big Fault in Cricket Administration, World cup, fixing angle, Anushka

by on 21:53
भारतीय टीम जिस बुरे तरीके से ऑस्ट्रेलिया के हाथों वर्ल्ड-कप के सेमीफाइनल में पराजित हुई, उससे देश के करोड़ों क्रिकेट-प्रेमियों का दिल टूट गया, लेकिन इस पूरे वाकये को बड़ी आसानी से सिर्फ खेल भावना का नाम देकर उन प्रशासनिक खामियों पर लीपापोती नहीं की जा सकती है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं. विश्व के सबसे धनी क्रिकेट-बोर्ड के पास सक्षम मैनेजर और मनोवैज्ञानिक तो निश्चित ही होंगे और इसी सन्दर्भ में पिछले कई हफ़्तों से विराट कोहली के व्यवहार में आये बदलाव का अध्ययन किस प्रकार अनदेखा कर दिया गया, यह यक्ष प्रश्न है. इस दौरान विराट ने बेहद निराश किया, और पूरे टूर्नामेंट में पाकिस्तान के खिलाफ उनके शतक को छोड़ दिया जाय तो उनके बल्ले से अर्थशतक तक नहीं निकला. ऐसे सीरियस मुकाबले के समय NH10 फिल्म देखना, और उसकी पब्लिकली तारीफ़ करना, डेट पर जाना और इन सब बातों का ट्विटर इत्यादि के जरिये प्रचार करने को जस्टिफाई किस प्रकार किया जा सकता है. आखिर, खिलाडियों को देश के लिए खेलने की खातिर किसी प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है कि नहीं. हार से ज्यादा क्रिकेट-प्रेमियों का गुस्सा विराट कोहली के गैर-जिम्मेवाराना व्यवहार पर कहीं ज्यादा है. पत्रकार से कोहली के मारपीट और ऑस्ट्रेलिया से मैच के पहले डेट की तस्वीरें और दूसरी ऐसी तमाम गतिविधियाँ थीं, जिसने विराट को विलेन बना दिया और, अब कम से कम उनको उनके प्रशंसक उस तरीके से नहीं प्यार करेंगे, जैसा दुलार उनको पहले मिलता था.
हार के बाद बॉलीवुड अभिनेत्री और उससे ज्यादा अब विराट कोहली की गर्लफ्रेंड अनुष्का शर्मा के ऊपर भी काफी चर्चा हुई है. सोशल मीडिया में तो उनको 'विषकन्या' तक की उपाधि दी जा रही है, हार का मुख्य कारण बताया जा रहा है, किन्तु इस पूरे वाकये को एक दूसरी दृष्टि से देखने पर एक अलग तस्वीर ही नजर आती है. एक तो क्रिकेट, वह भी अंतर्राष्ट्रीय-क्रिकेट, वह भी वर्ल्ड-कप जैसा बड़ा आयोजन. ऐसी स्थिति में एक-एक व्यक्ति संदेह के घेरे में होता है. बड़े आश्चर्य का विषय है कि टीम-प्रबंधन ने विराट को इतनी छूट दी कैसे? अभिनेता बिंदु दारा सिंह के फिक्सिंग-प्रकरण को अभी ज्यादे दिन नहीं हुए हैं! यह एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय साजिश भी तो हो सकती है. फिक्सिंग-प्रकरण के बाद महत्वपूर्ण मैचों से पहले खिलाडियों से बाहरियों के मिलने-जुलने पर बेहद सख्ती से पेश आने की बात बोर्ड ने उठायी थी. आखिर, अनुष्का को प्रोटोकॉल में छूट कैसे मिली? यह प्रश्न जितना टेक्नीकल है, उतना ही भावनात्मक भी. एक तरफ भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी थे, जिन्होंने देश की खातिर अपनी 'नवजात' बच्ची का मुंह तक नहीं देखा और एक तरफ विराट-महाशय हैं, जिन्होंने अपने व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल कर के एक अनजान को 'टीम' में घुसा दिया, और वह लड़की टीम-प्रबंधन के सभी सदस्यों, खिलाडियों से बेरोक-टोक मिलती है. आखिर, अभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउन्सिल के चेयरमैन एन.श्रीनिवासन को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से क्यों प्रतिबंधित किया है और उनके दामाद मयप्पन से चेन्नई आईपीएल के खिलाडियों से बेरोक-टोक मिलने का ज़िक्र क्यों आया? आखिर, अनुष्का जैसे अनजान लोग फिक्सिंग में शामिल क्यों नहीं हो सकते हैं? विराट जैसे खिलाडियों और बीसीसीआई के पदाधिकारियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यह कोई मोहल्ले का टूर्नामेंट नहीं है, बल्कि विश्व-कप जैसा आयोजन किसी 'युद्ध' की तरह होता है और विशेषकर भारत जैसे देश में, जहाँ यह धर्म माना जाता है, वहां विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है. बोर्ड-प्रशासन को यह बाद याद रखनी होगी की अरबों-खरबों का दाव सट्टे पर लगा होता है और सट्टेबाज अनुष्का जैसी 'चिड़िया' को ही ढूंढते हैं और लालच, डर, भ्रम इत्यादि सभी दांव-पेंच आजमाते हैं. इस बात की गंभीर जांच की जानी चाहिए कि बोर्ड से इतनी गंभीर चूक हुई कैसे और आने वाले भविष्य के लिए इन प्रशासनिक-खामियों को सुधारा जाना चाहिए.
- मिथिलेश कुमार सिंह
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Wednesday 25 March 2015

देश-गौरव की खातिर खुशियाँ लुटाउँगा - Poem before world cup semi final India Australia, Hindi Kavita

by on 13:50
लिखना तो बहुत चाहता हूँ,
पर आज नहीं!
आज भारत की जीत की दुआ करूँगा
फ़रियाद करूँगा

यूं तो रहता हूँ दूर हर 'टोटके' से 
पर आज नहीं!
आज रात भर टूटते तारे को देखूँगा 
आँखें बंद करके बुद-बुदाऊँगा

नापसंद करता हूँ इन कमाऊं क्रिकेटरों को
पर आज नहीं!
आज इन्हें असली 'सैनिक' सोचूंगा 
बल्ले से बारूद निकलते देखूँगा 

भ्रष्ट होते खेल से नफरत करने लगा था
पर आज नहीं!
आज आईपीएल, सट्टेबाजी भूल जाऊंगा
इनकी जीत पर इतराऊंगा

यूं तस्वीरों को 'लड्डू' खिलाता नहीं मैं
पर आज नहीं!
देश-गौरव की खातिर खुशियाँ लुटाउँगा 
नारे लगाउँगा

- मिथिलेश 'अनभिज्ञ'
(वर्ल्ड-कप सेमीफाइनल से पहले)
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Tuesday 24 March 2015

जाने और व्हाट्सऐप के बारे में... Whatsapp features, security and more information in hindi

by on 01:24
  1. Last Seen: settings> account> privacy> lastseen विकल्प पर जाइये. यहां Everyone, My contacts, Nobody जैसे विकल्प दिखेंगे. इसमें से Nobody पर क्लिक करते ही आपका लास्ट सीन टाइमस्टैम्प पूरी तरह से हाइड कर दिया जाएगा. इसके लिए वॉट्सऐप का लेटेस्ट सिक्युरिटी वर्जन (2.11.444 वर्जन) डाउनलोड करना होगा. यूजर्स को ध्यान रखना होगा कि ये वर्जन आधिकारिक वॉट्सऐप की वेबसाइट से डाउनलोड किया जाए. एंड्रॉइड फोन में अगर आपने वॉट्सऐप के वर्जन को अपडेट कर लिया है तो इसमें कई लेटेस्ट विकल्प मिलेंगे. इसमें फोटो से लेकर लास्ट सीन तक कई प्राइवेसी सेटिंग्स मिल जाएंगी.
  2. Whatsapp Message Locking (वॉट्सऐप के मैसेज लॉक कीजिये): WhatsApp Lock नाम के ऐप को गूगल प्ले से फ्री में डाउनलोड कीजिये. इस ऐप के अलावा, App Lock (फ्री) भी उपलब्ध है, जिससे सिर्फ वॉट्सऐप ही नहीं बल्कि बाकी सभी ऐप्लिकेशन लॉक किए जा सकते हैं.
    -जबकि एंड्रॉइड यूजर्स के लिए- Settings > Chat settings >Backup conversations (इस शॉर्टकट से वॉट्ऐप की मीडिया फाइल्स कॉपी नहीं होंगी. उसके लिए फाइल मैनेजर में जा कर /sdcard/WhatsApp/Media पर जाकर मीडिया फाइल्स को अलग से कॉपी-पेस्ट करना होगा).
  3. Whatsapp Mesaage backup (वॉट्सऐप में पुराने मैसेज का बैकअप): अगर आप फोन बदलना चाहते हैं या फिर अपना फॉर्मेट करवाना चाहते हैं और वॉट्सऐप के मैसेज डिलीट हो जाने का डर है तो उसके लिए बैकअप बना कर रख लीजिये. इसके लिए Settings > Chat Settings > Chat Backup> Back Up Now पर क्लिक कीजिये (ये शॉर्टकट ios यूजर्स के लिए है).
  4. Stop Autodownloading in Whatsapp (वॉट्सऐप में ऑटो इमेज डाउनलोड बंद करना): सेटिंग्स> चैट सेटिंग्स > मीडिया ऑटो डाउनलोड > इसके बाद अपनी सुविधानुसार ऑप्शन सिलेक्ट करें जैसे मोबाइल डाटा का इस्तेमाल करते समय, वाई-फाई से कनेक्ट हों या जब रोमिंग में हों तब.
  5. Disable Blue Ticks (कैसे करेंगे ब्लू टिक्स डिसएबल): सबसे पहले अपडेट डाउनलोड करें, लेकिन इस से पहले फोन पर Settings > Security > Check Unknown sources पर जाकर गूगल प्ले के अलावा थर्ड पार्टी ऐप्स को इंस्टॉल करने की परमीशन भी देनी होगी. अब डाउनलोड की गई apk फाइल अपने फोन में इंस्टॉल कर लें. फिर Settings > Account > Privacy पर जाकर रीड रिसिप्ट्स (Read receipts) फीचर को अनचेक कर दें. आपका काम हो गया है.
  6. Whatsapp Group (व्हाट्सऐप ग्रुप): इसके बारे में आप जानते ही हैं, एंड्राइड फोन्स में आपको व्हाट्सऐप खोलते ही डिवाइस-मेनू से ही New Group का आइकॉन दिख जायेगा, फिर आप ग्रुप का नाम दीजिये, फोटो दीजिये, Next क्लिक कीजिये और अपने कॉन्टेक्ट्स में जिन्हें जोड़ना है, उन्हें जोड़िये. और फिर बन गया आपका ग्रुप. फिर उस ग्रुप में आपको कुछ भी चेंज करना हो तो उस ग्रुप को व्हाट्सऐप में खोल लीजिये, फिर फ़ोन-मेनू बटन को क्लिक करते ही Group Info आएगा और यहाँ यदि और लोगों को जोड़ना है तो Add Participant और यदि किसी मेंबर को हटाना है, उसे पर्सनली कोई मेसेज देना है, तो उस मेंबर के नाम पर अपनी ऊँगली थोड़ी देर होल्ड करें, फिर आपको तमाम ऑप्शन दिखेंगे.
व्हाट्सऐप के बारे में कुछ अन्य पॉइंट्स:
  1. सेटिंग के अकाउंट में जाकर आप Network Uses पर क्लिक करते ही आपको अपने व्हाट्सऐप से भेजे और रिसीव किये गए आंकड़े मिल जायेंगे.
  2. आपको जानकारी होगी ही कि व्हाट्सप्प एक एनुअल पेड सर्विस है, तो आप सेटिंग के अकाउंट में जाइये वहां Payment Info से आपको अपनी सर्विस के एक्सपायर होने की जानकारी और साथ ही साथ पेमेंट करने का लिंक भी मिल जायेगा. एक साल के लिए 53.19 रूपये इसका चार्ज है.
  3. इसके अतिरिक्त यदि व्हाट्सऐप के बारे में आपको कुछ और क्वेरी हो तो आप सेटिंग के Help में जाकर सीधे कंपनी से अपने प्रश्न पूछिये, चूँकि यह एक पेड सर्विस है, अतः आपका उत्तर आपको मिलेगा.
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Wednesday 18 March 2015

अपना वेबसाइट का व्यापार कैसे शुरू करें - How to start a website business, hindi new articles

by on 11:04
कंप्यूटर इंजीनियरिंग, एमसीए, बीसीए के ग्रेजुएट जब कॉलेज से निकलते हैं तो बिचारों को कई कठिनाइयों से जूझना पड़ता है. आईआईटी, एनआईटी और कुछ बड़े कॉर्पोरेट इंजीनियरिंग संस्थानों को यदि छोड़ दिया जाय तो दुसरे इंजीनियरिंग कॉलेज से बड़ी संख्या में निकले ग्रेजुएट्स यहाँ, वहां इंटरव्यू देते हुए निराशा की ओर बढ़ने लगते हैं. फिर उनमें से कुछ जबरदस्ती एमबीए या एमटेक में एड्मिसन की तरफ दौड़ लगा देते हैं, या छोटी-मोटी कंपनियों में नौकरी शुरू कर देते हैं. कई अपनी फील्ड्स चेंज कर देते हैं तो कई बिचारे अपने जूनियर्स को तैयारी कराने लगते हैं और कई उसी कॉलेज में पढ़ाने लगते हैं, जहाँ से उन्होंने इंजीनियरिंग की थी. यह तो रही बिचारे इंजीनियर्स की दुःख भरी कहानी. लेकिन, इन सभी में कहीं न कहीं अपना उद्यम शुरू करने की ललक भी रहती है. और कहीं न कहीं वह बहुतायत रूप से वेबसाइट के कारोबार को लेकर रुचि रखते हैं. तो लीजिये, कंप्यूटर इंजीनियर्स के लिए वेबसाइट की व्यावसायिक संभावनाओं पर कुछ बिन्दुवार रिपोर्ट्स:
वेबसाइट बनाने का व्यापार: यह इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स द्वारा सबसे ज्यादा शुरू किया जाने वाला कारोबार है, किन्तु शुरूआती दौर में इसमें तमाम उतार-चढाव आते हैं, जैसे:
  1. गलत प्रोग्रामिंग लैंगुएज का चुनाव- वैसे तो मार्किट में तमाम भाषाएँ हैं, जिसमें C#.NET, Java और PHP प्रमुख हैं. इसमें सबसे सटीक और शुरूआती लैंगुएज के तौर पर आप PHP का चुनाव करेंगे तो आपकी सफलता की संभावनाएं 200 फीसदी बढ़ जाएँगी. कारण तमाम हैं, संक्षिप्त में इसका सरल होना, इसके एम्प्लाइज का More-books-click-hereआसानी से मिल जाना, तमाम CMS का इसी भाषा में होना और वेब-होस्टिंग से इसकी कम्पैटिबिलिटी इसको शुरूआती वेबसाइट बिजनेस के लिए परफेक्ट बनाती है. वहीं .NET और JAVA में तमाम कोम्प्लिकेशन्स और व्यवहारिक कठिनाइयाँ हैं, विशेषकर छोटे और देसी प्रोजेक्ट्स में इसकी कॉस्टिंग PHP की तुलना में 10 गुणा बढ़ जाती है और यूजर-एक्सपीरियंस कठिनाई में डालने वाला होता है. इसके अतिरिक्त PHP में आप को पेश आने वाली किसी भी एक दिक्कत के लिए कम से कम सौ तरह के सल्यूशन अलग-अलग फोरम्स पर मिल जायेंगे. सबसे बड़ी बात आपको इंडियन मार्किट में PHP के प्रोजेक्ट ही मिलेंगे और जहाँ हज़ार, दो हजार में वेबसाइट बन रही हैं, वहां आप .NET और JAVA में इतनी कम कॉस्ट पर सोच भी नहीं सकते हैं. .NET और JAVA बड़े और महंगे प्रोजेक्ट्स के लिए सही साबित होती हैं. Choose accurate programming language.
  2. स्टैन्डर्ड CMS का चुनाव- आपने PHP में काम तो शुरू कर दिया, किन्तु इसका मतलब यह नहीं कि आप हर काम कस्टम ही करने लगें, मतलब हर प्रोजेक्ट के लिए शुरू से डिजाइनिंग और कोडिंग. फिर फेल कर जायेंगे आप, क्योंकि अपना स्टैन्डर्ड विकसित करना, कस्टम प्रोजेक्ट्स में सपोर्ट देना और कोई फंक्शन घटाना या बढ़ाना बेहद सरदर्दी और कॉस्ट बढ़ाने वाला साबित होता है. इससे बेहतर होगा यदि आप PHP लैंग्वेज में बने कुछ बेहद सफल CMS में से किसी एक में काम करना शुरू करें, मसलन Wordpress, Joomla, Drupal. यहाँ पर इन प्लेटफॉर्म्स की सभी खासियत बता पाना मुमकिन नहीं है, किन्तु आप यह समझ लें कि वेबसाइट का व्यापार शुरू करने के लिए आप इनको 'भगवान' का दर्जा दे सकते हैं. तमाम रेडीमेड सुविधाएं, टेम्पलेट्स, मुफ्त प्लगिन्स, SEO कम्पेटिबिलिटी, कम खर्च और मार्किट में उपलब्ध सस्ते एम्प्लोयी और हज़ारों फ्रीलांसर्स आपके लिए बेहद सुविधाजनक आधार बनाते हैं. मिथिलेश आपको शुरुआत में Wordpress का चुनाव करने की सलाह देते हैं. Work on CMS Websites like wordpress, joomla, drupal.
  3. सही होस्टिंग और डोमेन सेलर का चुनाव- तमाम डोमेन, होस्टिंग कंपनियां/ रिसेलर आपको बेहद लुभावने ऑफर देंगे, किन्तु आप अलर्ट रहें. भारत में कुछ अच्छी कंपनियां ResellerClub, Net4, Godaddy, BigRock इत्यादि हैं, बाकि आपको इस फिल्ड में काम करते-करते अनुभव राह दिखायेगा. यदि आप PHP में काम कर रहे हैं तो Linux Hosting के लिए जाएँ. Go for good hosting and domain companies.
  4. मार्केटिंग एंड प्रोमोशन: दोस्तों, इसके लिए कोई निश्चित फार्मूला नहीं है, परन्तु तमाम इंडस्ट्री की डायरेक्ट्रीज आपको मिल जाएँगी, जिसकी सहायता से आप अपने कस्टमर को कॉल या मेल के जरिये संपर्क कर सकते हैं. आप फेसबुक, ट्विटर, यूटुब इत्यादि सोशल मीडिया पर सक्रीय रहकर अपने लिए कस्टमर तलाश सकते हैं. आप गूगल पर पेड कैम्पेन (Adwords) चला सकते हैं, किन्तु आप वेबसाइट के लिए B2B प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा न करें, जैसे JustDial, IndiaMart, TradeIndia, Alibaba इत्यादि. अनुभव बताता है कि इन सभी से ज्यादा फायदा आपको रिफरेन्स से होगा. इसलिए आप विभिन्न जगहों में अपने संबंधों को मजबूत करें. और हाँ! आप विदेशी प्रोजेक्ट्स की ओर तब तक न भागें, जब तक आप अपनी फिल्ड में जानकार न हो जाएँ और कम से कम 2 साल तक अनुभव न ले चुके हों, क्योंकि Odesk इत्यादि पर नए लड़के प्रोजेक्ट्स लेने के लिए लग जाते हैं, लेकिन अंततः उनको निराशा ही हाथ लगती है, क्योंकि ओवरसीज प्रोजेक्ट्स के लिए बेहद एक्यूरेसी और टाइम-लिमिटेशन होता ही है, साथ ही साथ पेमेंट-टर्म्स और हाई-लेवल की कस्टम्इज़ेशन कर पाने में नए बन्दे कतई सक्षम नहीं हो पाएंगे. हाँ! अनुभव बढ़ने के साथ आप धीरे-धीरे इंटरनेशनल मार्किट को समझने लगेंगे. Choose right platform for marketing and business promotion.
  5. बेहतरीन सर्विस और रिफरेन्स: यह आपके बिजनेस की 'मास्टर की' है और अधिकतर लोग फेल भी यहीं होते हैं. अच्छी सर्विस हम क्यों नहीं दे पाते, इसके कुछ कारण मैं आपको बता सकता हूँ, बाकि आपको अनुभव ही सिखाएगा. आप सही कीमत पर वही काम उठाइये, जिसे आप खर्च के भीतर कर सकें, साथ में आपको 20 फीसदी मुनाफा होना अनिवार्य है. इसके अतिरिक्त यदि बिना समझें आप काम उठाते हैं, और उसे बिना प्लानिंग के करते हैं, तो आपको नुक्सान होना तय है. इसलिए Buy-Related-Subject-Book-beजरूरी है कि छोटे से छोटे प्रोजेक्ट की फिजिबिलिटी देख लें, साथ में कस्टमर की मानसिकता को भी एक हद तक नजर में रखें कि वह सीरियस है, समझदार है, अत्यधिक चतुर है, पैसे देने में आनाकानी करने वाला है, बार-बार प्रोजेक्ट प्लान को चेंज करने वाला तो नहीं है. इसके लिए जरूरी है कि कोई प्रोजेक्ट फाइनल होने से पहले अपनी टर्म्स-कंडीशन उस से लिखित रूप में साझा कर लें और सहमति ले लें. वेबसाइट प्रोजेक्ट में डिजाइनिंग की समस्या ज्यादा आती है, इसलिए डिज़ाइन और फीचर लिखित रूप में फाइनल करने के बाद आगे बढ़ें. इसके बाद समस्या आती है, आपकी कंपनी के एम्प्लोयी की. यदि आपका एम्प्लोयी यथायोग्य नहीं है, आपकी बात नहीं समझ पा रहा है और समय की कीमत नहीं समझता है तो आपके प्रोजेक्ट की कॉस्टिंग पर असर पड़ना तय है. वैसे, छोटी कंपनियों में अधिकांश काम खुद आपको ही करना होगा और एम्प्लाइज के ऊपर निर्भरता बेहद कम करनी होगी, तब तक जब तक आप आर्थिक रूप से सक्षम न हो जाएं. यहाँ ध्यान रहे, सिर्फ महंगा एम्प्लोयी रख लेने से वह अच्छा काम कर के नहीं दे देगा, बल्कि एम्प्लाइज को मैनेज करने के लिए एक बड़ा सिस्टम तैयार करना पड़ता है, जिसमें बेहतरीन टीम, HR Department से लेकर Training Cell और कंपनी में एक बड़ा Future स्कोप दिखना इत्यादि शामिल होते हैं. इन तमाम फैक्टर्स के आधार पर एम्प्लाइज बेहतर परफॉरमेंस दे पाते हैं या देना चाहते हैं. छोटी कंपनियों को इस लेवल तक पहुँचने में लम्बा समय लग जाता है, इसलिए महंगे एम्प्लाइज कतई न रखें, बल्कि कम से कम खर्च में साधारण एम्प्लाइज से काम निकलवाना ही आपकी खूबी को आपकी कंपनी के लिए लाभदायक बना सकेगा. इन सब परिस्थितियों को मैनेज करके आप अपने कस्टमर को, कम खर्च में बेहतरीन सर्विस दे सकते हैं. Best Service and Reference marketing will make you success.
  6. आगे क्या: अब सवाल उठता है कि एक हद तक अपनी कंपनी को सेटअप करने के बाद और आर्थिक रूप से ब्रेकथ्रू के लेवल से आगे आने के बाद हमारा प्लान क्या होना चाहिए? इस स्थिति में ग्रोथ के लिए हम अपने किसी प्रोजेक्ट को शुरू कर सकते हैं, मसलन कोई नौकरी का बड़ा पोर्टल बना सकते हैं, सरकारी सूचनाओं से आम जनता को जोड़ने के लिए किसी वेबसाइट को शुरू कर सकते हैं अथवा पूरी प्लानिंग करके एक नए तरह का सोशल नेटवर्क शुरू कर सकते हैं, किसी फेसबुक या ट्विटर जैसा! पर ध्यान रहे, अपना प्रोजेक्ट सेटअप करने के लिए आप कम से कम इंडस्ट्री में 5 साल तो बिताइये ही, वह भी लगातार. और अपना कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले उसके सफल होने की सम्भावना, उस पर लगने वाला खर्च और उस से होने वाली आमदनी, उसका मार्किट सेगमेंट इत्यादि तमाम पक्षों पर अध्ययन आवश्यक है. शुरुआत में अपना कोई बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करना सामान्यतः नुकसानदायक ही रहता है. हाँ! यदि आपके दिमाग में कोई विचार है, तो उसे 5 साल तक सहेज कर रखें, रिसर्च करें और खुद को और खुद की कंपनी को आर्थिक रूप से, मानव संशाधन में और तकनीकी रूप से सक्षम करें. इसके अतिरिक्त, पांच साल अनुभव लेने के बाद आप किसी बड़े व्यवसायी से किसी प्रोजेक्ट में पार्टनरशिप भी कर सकते हैं, पर शुरू में यह जोखिम लेने की सलाह मिथिलेश आप को बिलकुल नहीं देंगे. Future plan after breakthrough.
सावधानियां:
  • कंपनी का मतलब ढेर सारे एम्प्लोयी और बड़ा ऑफिस नहीं होता है, बल्कि एक क्वार्टर में आपने कितना मुनाफा कमाया और अगले क्वार्टर में कितना मुनाफा आने की सम्भावना है, इस कांसेप्ट से कंपनी शुरू होती है. [Less Employees, Less Expenses]
  • कंपनी का मतलब ढेर सारे कस्टमर बनाना कतई नहीं, बल्कि बनाये गए कस्टमर को फायदा पहुँचाना और उसके संबंधों से रिफरेन्स लेना आपकी मार्केटिंग है. [Less Customers for good Service]
  • तकनीकी युग में कंपनी का आगे बढ़ना सिर्फ और सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि हर महीने बदलती हुए मार्किट और टेक्नोलॉजी से कितना अपडेट हैं आप. First E Book by Mithileshकिसी भी सॉफ्टवेयर या प्लगइन का नया वर्जन आने में अब साल भर भी नहीं लगता है, वहीं आपके कस्टमर की जरूरतें पूरी करने के लिए आपको लगातार अध्ययन करने की जरूर है. इसलिए इंजीनियरिंग में आपने बेशक पढाई नहीं की हो, किन्तु यहाँ आपको सम्बंधित सक्रीय लोगों के ब्लॉग, टेक्नोलॉजी अपडेट लगातार समझना होगा, अन्यथा आपको आउटडेटिड होते देर नहीं लगेगी. [Read Blogs continuously]
  • अपने फिल्ड के खुद विशेषज्ञ बनें, किसी एम्प्लोयी के ज्ञान के ऊपर निर्भर होना आपकी कंपनी के लिए घातक साबित हो सकता है. [Be an expert for your website business]
  • इसके लिए आप फोटोशॉप, ड्रीमवीवर, फ़्लैश, कोरलड्रा, एमएस ऑफिस, CSS, HTML इत्यादि की अच्छी जानकारी होना आवश्यक है, क्योंकि वेबसाइट के व्यापार में इनका प्रयोग होगा ही होगा. [Essential softwares for website design are photoshop, coreldraw, ms-office, css and html]
  • इसके अतिरिक्त मानव सम्बन्धी गुण तो जरूरी हैं ही, मसलन धैर्य, ईमानदारी, अर्थ-प्रबंधन, अखंड मेहनत, दूरदर्शिता, आत्मविश्वास और इन सबसे बढ़कर निर्णय लेने का साहस. [Human Values is necessary for success like patience, honesty, economy management, hard labour, confidence and courage]
तो अब आप इन टिप्स की सहायता से मार्किट में अपना वेबसाइट-व्यापार शुरू करने के लिए तैयार हैं. बाकि आपको इस विषय से सम्बंधित और जानकारियां मेरी वेबसाइट पर मिलेंगी. आप मुझे मेरे ईमेल पर भी संपर्क करके सलाह दे सकते हैं, ले सकते हैं.
आपका अपना- मिथिलेश
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