Thursday 13 February 2014

जिम्मेवार को सामने लाओ... - Telangana State

संसद में होता तो बहुत कुछ रहा है, लेकिन तेलंगाना मुद्दे को लेकर संसद में जिस प्रकार का कृत्य हुआ, उसके जिम्मेवार को खोजा जाना जरूरी है. जनता जानना चाहती है कि क्या वही दो सांसद इस शर्मनाक हरकत के लिए पूर्ण जिम्मेवार हैं, अथवा इन सबके पीछे वोटबैंक की घटिया राजनीति और देश की बड़ी पार्टियां भी जिम्मेवार हैं. जिस प्रकार लोकतंत्र के मंदिर में, लोकतंत्र ही के देवता कहे जाने वाले सांसद, अपने व्यवहार से राक्षस नजर आये , उसने समूचे तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है. दोष सिर्फ कांग्रेस और तेलगुदेशम के दो सांसदों को नहीं दिया जा सकता क्योंकि जिस प्रकार इस मुद्दे को कांग्रेस पार्टी पिछले कई महीनों से गरम कर रही थी, उसके सन्दर्भ में इस कृत्य पर आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए. आखिर कोई सरकार राज्यों के बंटवारे पर इतनी ज्यादा असंवेदनशील कैसे हो सकती है. राज्यों का बंटवारा भावनात्मक मुद्दा होता है, लोग इसे अपना जातीय मसला बना लेते हैं, और यही कारण है कि इस संघर्ष में हजारों लोगों की बलि हो चुकी है.

अब जब, दूसरे सांसदों की आँखों में काली-मिर्च का स्प्रे गया है, तब शायद उन्हें इस बात का अहसास हो कि उनकी राजनीति का स्प्रे जनता के जीवन में कितना जहरीला असर करता है. इस मुद्दे को बेहद शांत तरीके से और अंदरूनी तरीके से भी निपटाया जा सकता था, बजाय कि इस मुद्दे को चाकू की नोंक पर रखा गया. कई पत्रकारों को इस मुद्दे के जहरीले होने का आभाष तभी हो गया था जब वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे पर आंध्र के सांसदों को दरकिनार करते हुए अपनी एकतरफा सिफारिश कर दी थी. दरअसल, इस मुद्दे के राजनीतिकरण को समझने के लिए हमें आंध्र की राजनीति पर दृष्टिपात करना होगा. कांग्रेस के बड़े छत्रप समझे जाने वाले आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस.राजशेखर रेड्डी की असामयिक मौत से कहानी की शुरुआत हुई. स्वाभाविक रूप से, खानदानी राजनीति का गढ़ रही कांग्रेस में स्व. रेड्डी के पुत्र जगन मोहन रेड्डी ने कुर्सी पर अपना दावा ठोंक दिया और जब कांग्रेसी आलाकमान ने उसको कुर्सी न देकर किरण कुमार रेड्डी को मुख्यमंत्री बना दिया तब जगन ने बगावत कर दी और कांग्रेस ने सीबीआई के माध्यम से उसे १६ महीनों तक जेल में रखा. आंध्र में हुए विधानसभा उपचुनावों में जहाँ कांग्रेस मुंह के बल गिर गयी, वहीँ जगन मोहन १४ सीटें जीतकर एक बड़ी ताकत बन गए. अब जगन को डाउन करने के लिए, कांग्रेस ने असमय तेलंगाना मुद्दे को हवा दी, और उसी के फलस्वरूप संसद में भारतीय लोकतंत्र की सबसे शर्मनाक घटना दर्ज हो गयी.

अब कांग्रेस इस मुद्दे को जला-जलाकर बेशक तेलंगाना में अपना आधार खड़ा कर ले, लेकिन जनता का और लोकतंत्र का जिस प्रकार अपमान और नुक्सान हुआ, उसकी भरपाई शायद कभी नहीं की जा सके. इसलिए, इस अपराध और राष्ट्रद्रोह जैसे कृत्य के असली जिम्मेवार न सिर्फ वह दो सांसद हैं, बल्कि वह भी हैं, जो राजनीति के पीछे छिपकर देश में जहर फैलाने का कार्य करते रहे हैं. इस मुद्दे पर उस राजनीति को जवाब देना चाहिए, जो जनता के हितों का रखवाला होने का दम भरती रही है. अन्यथा लोकतंत्र उसे कभी माफ़ नहीं करेगा, और ऐसी राजनीति को उसका पाप ले डूबेगा. यहाँ प्रश्न किसी एक राजनैतिक पार्टी का नहीं है, बल्कि गलत व्यवस्था का है. आखिर लोकतंत्र के हिस्से में तेलंगाना, मुजफ्फरनगर, गुजरात, सिक्ख दंगे शर्म ही तो हैं. या कुछ और, 'आप' भी तो सोचिये...!

मिथिलेश, उत्तम नगर, नई दिल्ली.

Telangana State article by Mithilesh

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