Monday 3 November 2014

दादी तुम रहती क्यों दूर ... Bal Kavita by Mithilesh

दादी - दादी मुझे पढ़ाओ,
ढेरों फिर तुम बात बताओ
खेलो दिन और रात मेरे संग
करूँगा तुमको जी भर के तंग


 

मम्मी सुबह जगाती है,
फिर मुझको नहलाती है,
रोता हूँ मैं जी भर लेकिन
दया उसे नहीं आती है.


 

Buy-Related-Subject-Book-beछोटा हूँ मैं घर में सबसे
बड़ी बड़ी किताबें हैं
करना चाहूँ बात मैं सबसे
ढेरों पास में बातें हैं


 

मम्मी, काकी करतीं काम,
खाना वही बनाती हैं
कंप्यूटर पर करतीं खिट-पिट
टीवी दिखा, सुलाती हैं


 

काका, पापा के आने पर
पास में उनके जाता हूँ
कहते हैं वह थके बहुत हैं
मन मसोस रह जाता हूँ


 

दादी तुम रहती क्यों दूर
समझ नहीं यह पाता हूँ
गर्मी की छुट्टी में ही क्यों
गाँव तुम्हारे आता हूँ.


 

वहां थे आयुष और अनुकल्प
दिल्ली में नहीं कोई विकल्प
साथ रहो या साथ ले चलो
दादी मानो यह संकल्प.


 

शुभकामनाओं सहित,
-मिथिलेश, उत्तम नगर, नई दिल्ली. (Bal Kavita by Mithilesh)

[caption id="attachment_228" align="alignnone" width="960"]Aaryansh-Dadi-Grand-Mother-Smt.-Meera-Devi आर्यांश अपनी दादी के साथ (Aaryansh with His Grandmother Smt. Meera Devi)[/caption]

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