बूढा, निःशब्द घायल,
कुछ कर न पाने की बेबशी में आहत सा
पर कट गए, वह गिर गया
उस घाव पर गाढ़ा रुधिर जम गया
क्षत-विक्षत हो गए अंग
पड़ गए शिथिल प्रत्यंग
घुटने झुके, कंधे झुके
पर गर्व से सीना औ माथा तन गया
दुर्नीति से वह ना डरा
सामर्थ्य संग वह भिड़ गया
नारी की रक्षा करने को
वह प्राण अपने तज गया
वह कर्मयोगी, नीति ज्ञानी
धर्म-रक्षक, स्वाभिमानी
बन शूर हो गया युग-युगों तक दीर्घायु
मन में बसाओ, नाम जिसका है 'जटायु'
(महाराणा प्रताप के वंशज, वर्तमान महाराणा शिवदान सिंह जी को समर्पित)
Poem on Jatayu by Mithilesh in Hindi.
-मिथिलेश, उत्तम नगर, नई दिल्ली.
Sunday 16 November 2014
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... नाम जिसका है 'जटायु' - Poem on Jatayu by Mithilesh
Shivdan Singh
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