Saturday 5 September 2015

उन्हें बारम्बार प्रणाम...

पत्नी, प्रिये, अर्धांगिनी 
और धर्मपत्नी

जीवन संतुलन, उत्थान
और सृष्टि की कथा- 

सुख दुःख, संयोग वियोग 
और रुचि अरूचि में 

बंध, प्रबंध, सम्बन्ध
और समर्पण भी

दिन रात, सुबह शाम 
और हर क्षण में 

(प्रिय पत्नी के जन्मदिवस पर रचित दो पंक्तियाँ)


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