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मुझे लगता है कि हमारी नयी पीढ़ी में भूकम्प की भयावहता अनुभव करने का यह पहला बड़ा अवसर है. ऑनलाइन माध्यमों से लेकर समाचार चैनलों तक पर खौफ पसरा हुआ है. इस बारे में कुछ जानकारियां और सुझाव निम्नलिखित हैं:
सूचना सम्बंधित जानकारियां:
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नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने नेपाल में गुमशुदा लोगों से जुड़ी जानकारी के लिए ये हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं 011-26701728, 011-26701729, 09868891801 काठमांडू स्थित भारतीय एंबेसी का हेल्पलाइन नंबर है +9779851107021, +9779851135141
सावधानियां:
मानसिक असर से बचने हेतु प्रयास जरूरी हैं. भूकम्प का नाम सुनकर कइयों के मन में भरी दहशत हो जाती है. विशेषकर मरीजों, महिलाओं और बच्चों पर विशेष नजर रखें. भूकम्प के पहले झटके के बाद मेरे परिचित कई लोगों में से कइयों का ब्लडप्रेसर हाई हो गया है. इससे सम्बंधित फर्स्ट-एड किट अपने पास रखें.
भूकम्प के झटकों से घर की चीजें 'कम्पित' होने लगती हैं. अतः घर में रखे सामानों पर एक बार नजर दौड़ाएं. कहीं आपके सर के ऊपर कोई भारी सजावटी वस्तु तो नहीं रखी हुई है. कहीं आप जहाँ सोते हैं, उसके सामने आलमारी तो नहीं है. तात्पर्य यह कि कोई सामान आपके ऊपर गिरकर आपको चोट न पहुँचाने पाए, जैसे पंखे, शीशे इत्यादि.
यदि आप फ्लैट्स में रहते हैं तो बालकनी में जाने से बचें और अपने बच्चों को भी रोकें. तेज झटकों की स्थिति में बालकनी या 'छज्जे' सबसे पहले गिरते हैं.
अपनी मोटरसाइकिल के हेलमेट अपने पास रखें और आपात स्थिति में उसे पहन लें.
सीढ़ियों का इस्तेमाल अपेक्षाकृत 'लिफ्ट' से ठीक रहता है किन्तु यह पूर्णतः सेफ नहीं है. इसलिए आपाधापी में तेज भागने से बचें और हालात के अनुसार निर्णय लें.
पेड़, बिजली के खम्भे, दुसरे पोल्स से दूर रहें और खुले मैदान की तलाश करें जैसे- पार्क इत्यादि.
भूकम्प से सम्बंधित तकनीकी जानकारियां:
भूकम्प को मापने का जो सबसे प्रचलित है, उस रिक्टर स्केल को ऐसे समझें (भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है)-
0 से 1.9 (सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही मापा जा सकता है.)
2 से 2.9 (हल्का कंपन होता है)
3 से 3.9 (कोई ट्रक या बड़ी बस आपके नजदीक से गुजरने जैसा)
4 से 4.9 (खिड़कियां का टूटना, दीवारों पर टंगी फ्रेम का गिरना इत्यादि)
5 से 5.9 (कमजोर मकानों या छपरों का गिरना)
6 से 6.9 (इमारतों की नींव दरक सकती है. ऊँची मंजिलों को नुकसान)
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8 से 8.9 (इमारतों सहित बड़े मजबूत पुल भी गिर जाते हैं)
9 और उससे ज्यादा (पूरी तबाही, किसी फ़िल्मी सीन जैसा ज़लज़ला. कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी. समुद्री क्षेत्रों में सुनामी.)
इन सभी सावधानियों और जानकारियों के बावजूद प्रकृति के आगे इंसान बेबश ही है, किन्तु यदि आपात स्थिति में वह अपने मन और दिमाग को नियंत्रित रख सके, निश्चित रूप से वह हालात के अनुसार खुद को बेहतर स्थिति में रखने की ज़ोरदार कोशिश कर सकता है. मिथिलेश के अनुसार तो 'हिम्मते मर्द, मदद-ए-खुदा' वाली बात ही सच है. परमपिता आपको आपात स्थिति से निपटने का साहस दे.
- मिथिलेश
article on earthquake in hindi by mithilesh2
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