Wednesday 4 February 2015

मुद्दे और दृष्टिकोण - Mudde Aur Drishtikon, Book Written by Dr. Kiran Bedi, Must Read

किरण बेदी बहुत पहले से ही किसी परिचय की मुहताज नहीं रही हैं और अब तो वह राजनीति के अखाड़े में रोज चर्चा का विषय बन रही हैं. उनकी हिंदी में लिखी पुस्तक 'मुद्दे और दृष्टिकोण' को पढ़ने का अवसर मिला. इस पुस्तक को यदि किरण बेदी के अनुभव का खज़ाना कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. किरण बेदी को जैसा कि आम जनमानस समझता है, वह एक सकारात्मक परिणाम देने वाली महिला हैं. इस किताब में भी व्यवहारिक दृष्टिकोण और उस पर आधारित कार्ययोजना की बात कही गयी हैं. खुद किरण बेदी के शब्दों में-
"मैं उन तमाम चीजों का क्या करूँ जिन्हें मैं देखती, सुनती पढ़ती और बनाती हूँ? अब या तो मैं उन्हें अनदेखा करूँ या भूल जाऊं या उनके बारे मैं शिकायत करूँ या फिर अपनी भड़ास निकालूँ. परन्तु मुझे ऐसा लगता है कि जिन चीजों ने मुझे झंझोड़ा या प्रभावित किया है मुझे उन्हें सबके साथ बाँटना चाहिए."
एक स्वावलम्बी महिला, पुलिस विभाग जैसे सक्रीय महकमे में नौकरी और अब राजनेता जैसी तमाम भूमिका में एक सक्षम व्यक्तित्व की तरह डॉ. किरण बेदी सामने आयी हैं. उनकी इस पुस्तक में मुख्यतः छः भाग हैं-

  • नेतृत्व, शासन एवं भ्रष्टाचार: उन तमाम मुद्दों का संकलन जो नेतृत्व की संरचना, आम जनमानस के जीवन में उसका महत्त्व, कानूनी पहलू, वोट का अधिकार, न्याय व्यवस्था इत्यादि से सम्बंधित हैं. इस भाग में किरण बेदी ने बेहद व्यापक दृष्टिकोण का परिचय दिया है और कई समस्याओं का समाधान भी प्रस्तुत करने की बात More-books-click-hereस्पष्टता से कही है.

  • भारतीय पुलिस: इसमें भारतीय पुलिस व्यवस्था की बारीक पड़ताल की गयी है. निश्चित रूप से यह किरण बेदी का सिद्धहस्त क्षेत्र है तो इसमें लेखन का अधिकांश भाग अनुभव की कसौटी पर खड़ा है. तकनीकी रूप से किताब का यह भाग बेहद दुरुस्त दीखता है.

  • महिला सशक्तिकरण: यदि भारतवर्ष को विकास करना है तो भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति पर गंभीर चिंतन एवं उसमें अपेक्षित बदलाव किया जाना जरूरी है. लड़कियों की शिक्षा, बाल-विवाह, नारी की पहचान, विवाहेत्तर समस्याएं एवं समाधान, महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, चुनाव प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका जैसे सामयिक विषय इस भाग में सम्मिलित किये गए हैं. किरण बेदी का लेखन इस भाग में कई जगहों पर भावुक हुआ है और भारतीय परिवार को लेकर वह उलझती भी दिखी हैं, किन्तु हार माने बिना वह समाधान खोजने की बात करती हैं. वस्तुतः यह मुद्दा इतना आसान है भी नहीं, किन्तु किरण बेदी के लेखों में उम्मीद की किरण अवश्य ही दिखती है.

  • कार्यस्थल पर: 'मुद्दे और दृष्टिकोण' पुस्तक के इस भाग में किरण बेदी का पुलिस विभाग के साथ दुसरे कार्यों का अनुभव शामिल किया गया है. संयुक्त राष्ट्र संघ में किरण बेदी का अनुभव, पुरुष एवं महिलाओं का कार्यस्थल इस भाग के मुख्य बिंदु हैं.

  • विदेशी परिदृश्य: आज के वैश्वीकरण के दौर में इस सेक्शन में भारत और दुसरे देशों की सुविधाओं, वास्तविकताओं पर चर्चा की गयी है, वहीं कई जगहों पर किरण बेदी ने भावनात्मक रूप से देश-प्रेम के चित्र को उकेरा है. 'मेरे शहर से प्यारा को नहीं' शीर्षक से लिखे गए लेख में आपको इस बात का बखूबी भान हो जायेगा.

  • इस किताब के अंतिम भाग में किरण बेदी ने माता-पिता, युवा और बुजुर्गों की देखभाल शीर्षक से मुद्दा उठाती हैं. यह बात खलती है कि भारतीय परिदृश्य में इस भाग पर पहले चर्चा क्यों नहीं की गयी. इस सेक्शन के विभिन्न लेखों को पढ़ने के बाद यह बात साफ़ हो जाती है कि किरण बेदी ने इन मुद्दों को किताब के अंतिम भाग में क्यों रखा है. अपने तमाम दुसरे अनुभवों के विपरीत किरण बेदी इस सेक्शन में काफी कमजोर नजर आती हैं. इस भाग में किरण बेदी इस बात पर चर्चा जरूर करती हैं कि 'हमारा अस्तित्व परस्पर निर्भरता में है', किन्तु वह भारतीय व्यवस्था की रीढ़ 'संयुक्त परिवार' व्यवस्था को भूल जाती हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय समाज के इस हिस्से के बारे में काफी कम जानकारी के साथ लेखन हुआ है. फिर भी बच्चों की शिक्षा, वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम जैसे मुद्दों को उठाया गया है और कुछ हद तक ही सही समाधान की बात भी कही गयी है.


 

इन विभिन्न भागों की विस्तृत चर्चा भी अपने अगले लेखों में जरूर करूँगा और साथ ही आप सबसे अपील भी करूँगा कि देश, समाज की विभिन्न समस्याओं को समझने के लिए आप डॉ.किरण बेदी की यह पुस्तक जरूर पढ़ें.

– मिथिलेश, उत्तम नगर, नई दिल्ली.kiran-bedi-delhi-politics-article

Mudde Aur Drishtikon, Book Written by Dr. Kiran Bedi, Must Read

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