Wednesday 4 February 2015

दिल्ली चुनाव पर मिथिलेश की कुण्डलिया - Poem on Delhi Election, Politics, BJP, AAP, Congress by Mithilesh

आया चुनाव नजदीक है, बन लोकतंत्र की लाज
देखो, सुनो परखो जरा, यह है ज़रूरी काज।
यह है ज़रूरी काज, नाच नेता की देखो।
छल कपट दंश प्रपंच, वक्त पर तुम भी समझो।
कहते 'अनभिज्ञ' सही, दूर हो मोह व माया
शांत बुद्धि से वोट दो, दिन तुम्हारा आया।




साठ साल तक राज में, ना उभरा दूजा और |
कांग्रेस की दुर्गति में, यही मूल बात करो गौर ||
यही मूल बात करो गौर, योग्यता को न दबाओ |
मिट जाओगे जड़ से, इतिहास को ना दुहराओ ||
कहते 'अनभिज्ञ' सही, राहुल को दो यह पाठ |
गृहस्थ बनें शादी करें , उमर आयी अब साठ ||



जीत-जीत अभिमान ने, ला पटका फिर मैदान |Buy-Related-Subject-Book-be
विज्ञापन जारी करे, मर्यादा का नहीं ध्यान ||
मर्यादा का नहीं ध्यान, मोदी बेदी सब उतरे |
कार्यकर्त्ता मूल उपेक्षित, नेता सब बिखरे बिखरे ||
कहते 'अनभिज्ञ' सही, बदल दो अपनी रीत |
सम्मान अपने को दो, मिलेगी तब फिर जीत ||



आम आम कहते रहे, अब बन गए वह ख़ास |
चार आदमी टीम ने, जनता को किया निराश ||
जनता को किया निराश, जोर से गाल बजावें |
मूल सोच यही इनकी, सभी कुछ जल्दी पावें ||
कहते 'अनभिज्ञ' सही, दिल्ली को बहुत है काम |
ना करो तंग हमें रोज, आदमी हम हैं आम ||



-मिथिलेश 'अनभिज्ञ'


 

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