Friday 27 February 2015

थैंक्यू से क्या होगा... ? Thank you se kya hoga, Hindi Short Story by Mithilesh

थोड़ा तेज भगाओ भाई इस रेगिस्तान के जहाज को, सचिन ऊंट वाले से बोला!

premchand-ki-lokpriya-kahaniyanजैसलमेर के रेगिस्तान में ऊंट पर मैं अपने दोस्त सचिन के साथ बैठा हुआ था. उस रेगिस्तान में दूर-दूर तक पेड़ पौधों का नामोनिशान तक नहीं दिख रहा था सिवाय कुछ कंटीली झाड़ियों के. और साथ में रेत पर ढ़ेर सारी बियर की बोतलें भी बिखरी हुई थीं. इसके अतिरिक्त देश विदेश के तमाम सैलानी ऊंट की सवारी करते हुए जरूर दिख रहे थे. बातचीत के क्रम में पता चला कि वहां के लोगों की आजीविका का साधन टूरिज्म ही है. बियर! बियर! बियर! ठंडी बियर! एक 14 -15 साल का लड़का कंधे पर झोला लटकाए ऊंट के पीछे दौड़ने लगा. सचिन ने उसे छेड़ने के लिए पूछ लिया- कितने की दे रहा है? किंगफिशर की केन 150 की, टर्बो की 200 की! इतनी महँगी! दिल्ली में तो इसकी कीमत बहुत कम है. साहब! दूर से लाना पड़ता है और यह हमें 140 की पड़ती है, बस 10 रूपये लगाया है अपन ने! ऊंट के पीछे भागते हुए उसने बोला. नहीं चाहिए भाई. ले लो न साहब! अच्छा 140 में ही ले लो, उसने मोलभाव किया. नहीं चाहिए यार, थैंक यूं! सचिन ने जरा कठोरता से कहा... थैंक्यू से क्या होगा... ? वह बुदबुदाते हुए निराश हो गया, साथ में उसकी चाल भी धीमी हो गयी. वह पीछे छूट गया, और मेरे कानों में यूपी के गुटखा बेचने वाले छोटे बच्चों से लेकर, दिल्ली के फूटपाथ पर सोने वाले बच्चों तक के स्वर गूंजने लगे. थैंक्यू से क्या होगा... ?

-मिथिलेश 'अनभिज्ञ'

Thank you se kya hoga, Hindi Short Story by Mithilesh
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