Monday 15 December 2014

बच्चा भाई के 'मन की बात' - Man ki baat - Bachcha Bhai!

आज बच्चा भाई बड़े नाराज दिख रहे थे. नाराजगी में उनका चेहरा और भी बिचारा बन जाता है. मैंने सोचा कि उनकी बगल से नजर बचाकर निकल जाऊं, पर आज तक कभी बचा जो आज बच जाऊंगा. उनके घर के सामने से सड़क जाती है, और वही हमारे निकलने का मुख्य रास्ता है, साथ में मैं हूँ- हाँ करता रहता हूँ, बातचीत में वाह-वाह भी कर देता हूँ, इसलिए बच्चा भाई शाम के समय मेरे इन्तेजार में अपनी बैठक को छोड़ते नहीं हैं. देखते ही बोले- मिथिलेश जी ! रविवार को नहीं दिखे, घर में दुबके रहे, अब क्या सोमवार को भी नहीं मिलने का इरादा है. मैंने ही-ही करते हुए कहा, अरे नहीं भाई जी! कल वो बिजली के साथ बरसात हो रही थी और मुझे 'बिजली' से हमेशा डर लगता है? हाँ- हाँ, क्यों नहीं, बिजलीबाई डराने वाली चीज ही है! मैंने कहा, अरे नहीं भाई जी! वो वाली बिजली नहीं, मैं तो आसमान वाली चमकती, कड़कती बिजली की बात कर रहा हूँ. हाँ! हाँ! आओ बैठो मेरे पास. वो भाई जी! मैं,... मैं ... ... मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि वह बोले, अरे सुन यार! यहाँ देश की ज़िंदगियाँ दांव पर लगी हुई हैं और तुझे अपनी पड़ी है. देश की बात, वह भी बच्चा modi-ji-conversionभाई की चाय के साथ, मेरी कमजोरी बन चुकी थी. सब्ज़ी लाने निकला था, पर हिम्मत कर के सोचा कि थोड़ी देर देश के लिए निकाल लिया तो कौन सी आफत आ जाएगी. हिम्मत इसलिए करनी पड़ी क्योंकि दो दिन से सब्ज़ी लाने के बहाने बना रहा था, और आज घर पर खूब जली-कटी सुनने के बाद निकला था. मन में सोचा! भगवान जाने, क्या हाल करायेगा ये बच्चा भाई! फिर देशभक्ति के भाव ने भगत सिंह से लेकर वीर सावरकर के कालापानी को याद किया और भावी भय को हृदय के किसी कोने में दुबका दिया. बच्चा भाई से किसी खांटी देशभक्त की तरह पूछा- क्या हो गया है देश और उसकी ज़िन्दगियों को. बच्चा भाई ने कहा- मोदी जी ज़िन्दगी ज़ीने से मना कर रहे हैं! मैंने कहा मोदी जी! क्यों मजाक कर रहे हो आप? मैंने देश के ऊपर कभी मजाक किया है, जो मजाक कर रहा हूँ, बच्चा भाई ने संजीदगी से कहा. अरे भाई, तुम्हें ग़लतफ़हमी हुई होगी, कान साफ़ किया करो, मैंने थोड़ा कड़े स्वर में कहा. यूं भी देश और देशभक्ति के साथ मोदीजी के बारे में कुछ सुनना मुझे पसंद नहीं हैं, इन तीनों शब्दों को मैं पर्यायवाची कहता हूँ. लेकिन बच्चा भाई ने मेरे गुस्से की परवाह न करते हुए मेरी ही जानकारी पर प्रश्नचिन्ह लगते हुए प्रश्न दागा- रेडियो-टीवी नहीं देखते हो का! इसी इतवार को मन की बात में तो कह रहे थे देशवासियों से कि ज़िन्दगी जीना छोड़ दो! मैंने कहा कि वह तो 'नशा छोड़ने' की बात कह रहे थे. हाँ! वही तो ... पंकज उधास की गाई उस गजल की लाइन भूल गए हो मिथिलेश जी, जो कहती है- 'ज़िन्दगी एक नशे के सिवा कुछ नहीं, तुमको पीना न आये तो मैं क्या करूँ'. अभिप्राय समझते ही हम दोनों ठहाका लगाने लगे.

third-frontमैंने कहा बात कुछ जमी नहीं भाई जी! नशे से कितने लोग बर्बाद हो रहे हैं, उनको सही रास्ते पर लाने की कोशिश ही तो की मोदी जी ने और आप उनको खिंच रहे हो. बच्चा भाई भी पूरे मूड में बैठे थे, बोले- तुम्हें तो फ़िल्मी नगरी का ज़रा भी ज्ञान नहीं है, करोड़ों-अरबों का वारा-न्यारा करने वाली इंडस्ट्री का दर्द भी तो समझो. वह देवदास में शराब पीकर लड़खड़ाता हुआ हीरो कहता है न कि- हम तो इसलिए पीते हैं कि बर्दाश्त कर सकें. यह तो मोदी नहीं हुए पारो हो गए, जो प्यार में नाकाम रहे देवदास से कहती है- शराब छोड़ दो. अरे जो लोग ज़िन्दगी में नाकाम होते हैं वह कहाँ जायेंगे. मैंने बच्चा भाई की बात काटते हुए कहा कि मोदी जी ने इसका हल भी अपने मन से बता दिया है कि माता-पिता बच्चों को कुछ लक्ष्य दें और फेल होने पर उनका उत्साह बढ़ाएं. मेरे इतना कहते ही ज़ोर-ज़ोर हँसते हुए बच्चा भाई बोले, यार तुम भी कलम चलाते हो, अकल को भी चला लिया करो. अब आडवाणी जी, सुषमा जी, सोनिया जी और बिचारे तीसरे मोर्चे की झालर के फ्यूज बल्बों का कौन से माँ-बाप उत्साह बढ़ाएंगे, इसलिए वह गीता को राष्ट्रीय ग्रन्थ बनाने से लेकर धर्मान्तरण, जेहाद और जाने क्या-क्या नशा करने और कराने पर उतारू हैं. मैंने कहा- बच्चा भाई! इसके लिए भी मोदी जी ने रेडियो द्वारा सोशल मीडिया पर जागरूकता के लिए मुहीम चलाने की बात भी तो की है. बच्चा भाई लगभग चिल्ला उठे! सोशल मीडिया, फेसबुक, ट्विटर तो खुद एक नशा है, आफिस में, घर में, बिस्तर में हर जगह विवाद ही विवाद. देश की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने का सपना दिखाने वाले मोदीजी को सोशल मीडिया के कारण समर्थन मिलता है, उनके मुफ्त के अंधभक्त उस पर विरोधियों की खाल खींचने को तैयार रहते हैं, इसलिए वह हैशटैग की बात करेंगे ही, लेकिन बॉस से लेकर बीवी तक इस सोशल मीडिया से परेशान हैं.

लगे हाथ बच्चा भाई ने एक चुटकुला भी सुना डाला, एक बुढ़िया का मजाक उड़ाती हुई किसी नवविवाहिता ने उससे कहा कि दादी माँ- आप लोगों के समय में दस-बारह बच्चे कैसे हो जाते थे. बुढ़िया ने तपाक से उत्तर दिया- बेटी! हमारे ज़माने में सोने के समय हम लोग फेसबुक, वाट्सअप पर अपना समय खराब नहीं करते थे. मैंने सोचा कि इससे पहले कि घर पर मेरी बखिया उधड़े, मैं वहां से सरक जाऊं, बहाना बनाया कि- चलो! योग दिवस तो मोदीजी ने घोषित करवा दिया, आप तब तक दो-चार आसान करो, मैं सब्ज़ियाँ लेकर आता हूँ. योग की बात कहनी थी कि बच्चा भाई फूट पड़े- अरे! योग पहले अपने मंत्रियों को तो सिखाएं महोदय! किसी को भी 'जीभ में गाँठ' वाले योग की प्रेक्टिस ही नहीं है. मोदीजी, चीन से मुकाबले की बात कह कर देश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए ज़ोर लगा रहे हैं, वहीं उनके मंत्री देश को पाकिस्तान की तरह 'धार्मिक-एडवेंचर' का अखाड़ा बनाने पर तुले हैं. कभी रामज़ादों, हरामजादों, कभी गोडसे तो कभी पृथ्वीराज चौहान की तरह हिन्दू शासक का निरर्थक बयान. आखिर, अकेले बाबा के योग करने से क्या होगा? वैसे 'जीभ में गाँठ लगाने' वाला योग तो उनको भी नहीं आता था, तभी तो लड़कियों की सलवार.... !! मैंने आखिरी दांव फेंका और कहा कि BACHCHA-BHAI-CHARACTER-mithilesh2020बच्चा भाई! आप केवल आलोचना करना जानते हो, देश में पहला ऐसा प्रधानमंत्री हुआ है, जिसने देश के मुख्यमंत्रियों के साथ बिना नौकरशाही की कृपा के 'दिल से दिल मिलाओ' अभियान चलाया और पूरे ढाई घंटे तक मोदी के साथ दिल विल प्यार व्यार खेलते रहे. चिढ़ते हुए बच्चा भाई बोले! काहे का दिल मिलन! उत्तर प्रदेश का युवा तो कहता है कि जबरदस्ती मुझे झाड़ू पकड़ाने पर मोदी जी उतर आये हैं, मैं झाड़ू नहीं पकडूँगा, मैं अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का बच्चा हूँ तो क्या मोदीजी भी मुझे बच्चा ही समझ बैठे हैं. वहीं पश्चिम बंगाल की नायिका तो मोदीजी का जुबानी बुरा हाल करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं. फिर काहे का दिल-मिलन. इससे पहले की हमारी लड़ाई आगे बढ़ती, बच्चा भाई मेरे गुस्से को भांपते हुए बोले- जाओ, तुम्हें सब्ज़ी भी तो लेनी है, घरवाली खाना नहीं देगी तो फिर मेरे खिलाफ ही गुस्सा निकालोगे. फिर मेरे घावों पर लेप लगाते हुए बोले- वैसे सब्ज़ियाँ सस्ती हुई हैं, जाओ नहीं तो बरसात फिर शुरू हो जाएगी. मैं भुनभुनाता हुआ बैठक से बाहर निकल आया और प्रतिज्ञा की कि अगली बार इसके सामने ही नहीं पडूंगा.  इस बच्चा भाई की तो ... !!

-मिथिलेश, उत्तम नगर, नई दिल्ली.

Man ki baat - Bachcha Bhai, article by Mithilesh in Hindi.
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