सुबह-सुबह जब आज जगा था
सर्दी से सूरज भी डरा था
कल की रात न सोये हम सब
'न्यू ईयर' का रतजगा था
ठंडी में खूब शोर मचाकर
बेसुरा गाना गा गाकर
'बीजी' थे सब फोन में ऐसे
जैसे 'एप्स' हों ज्ञान का सागर
जाने कौन-कौन थे लोग
फास्ट- फूड, पिज्जा का डोज
इंग्लिश, पंजाबी, भोजपुरी
'पीके' फिल्म के जैसा रोग
मुझे समझ तो कुछ न आया
न्यू ईयर कह कर भरमाया
दादी का त्यौहार है बढिया
कर्म, धर्म का 'मर्म' बताया
- मिथिलेश (1 जनवरी 2015 की शाम, नई दिल्ली)
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