Monday 19 January 2015

सभ्यता का ज्ञान - Human Civilization, Poem in Hindi.

कुत्ते लड़ रहे थे
रात को
शहर के कुत्ते
दूर से दौड़ कर आये
वे गलियों के कुत्ते
और हो गए गुत्थमगुत्था
गुट बनाकर



कुछ दुबले थे
कुछ मोटे
कुछ वरिष्ठ थे
तो कुछ छोटे
कुछ भौंक कर
कुछ मिमियाकर
नोच रहे थे एक दुसरे को
खिसिया कर, गुर्रा कर



मुझे लगा इनमें से कोईBuy-Related-Subject-Book
लगाएगा कॉल
बुलाएगा पीसीआर
तब सुलझेगा बवाल


पर ऐसा कुछ न हुआ
उनका झमेला आप सलट गया
रात के अँधेरे में शोर सिमट गया






अपनी गलियों
में
लौटने लगे सब
मैंने सोचा तब
ये कुत्ते सभ्य नहीं बने अभी
जैसे हैं इंसान
आखिर कुत्ते की टेढ़ी दूम हैं
उन्हें क्यों होगा भला
सभ्यता का ज्ञान ।।


– मिथिलेश, उत्तम नगर, नई दिल्ली.


Human Civilization, Poem in Hindi, by Mithilesh, in the context of Dog Fighting.

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