क्या समाज व्यक्ति को बना सकता है? या व्यक्ति ही समाज का निर्माण करते हैं?
सही क्रम क्या यह है: व्यक्ति > परिवार > गाँव/ मोहल्ला > समाज > राष्ट्र !!
उपरोक्त क्रम में व्यक्ति के सबसे करीब 'परिवार' है. व्यक्ति परिवार में जन्मता है और अपना 80 फीसदी से ज्यादा समय उसी परिवार के साथ गुजरता है, विशेषकर 15 साल की आयु तक. (विज्ञान के अनुसार- तब तक उसके दिमाग का 80 फीसदी हिस्सा स्थाई रूप ले चूका होता है, मतलब उसके जीवन की नींव, जिसे 'चरित्र' कहते हैं, वह बन चुकी होती है.) ... अब जब परिवार ही ठीक नहीं, या फिर परिवार है ही नहीं (क्योंकि भारतीय दर्शन में परिवार का मतलब 'संयुक्त' परिवार ही है) >> तो फिर व्यक्ति ठीक कहाँ से होगा और जब व्यक्ति ठीक नहीं होंगे तो फिर 'राष्ट्र' तक का क्रम किस प्रकार सही होगा? सकारात्मक, नकारात्मक या निरपेक्ष विचार अवश्य दें मित्रों, शुभचिंतकों !!
[From the Facebook wall of Mithilesh]
Sequence of Human Character, United Family Discussion
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